एक्यूप्रेशर/एक्यूपंचर चिकित्सा
एक्यूप्रेशर तथा एक्यूपंचर एक स्व उपचार की प्राकृतिक चिकित्सा पद्वति है ।
शरीर में उर्जा ( Qi ) तथा शारीरिक द्रव्यों ( body fluids ) को उस स्थान से जहाँ वे ज्यादा ( excess ) है , से जहाँ वे कम ( deficient ) हैं स्थानान्तरित कर शरीर में उनका संतुलन स्थापित करने तथा इनके प्रवाह एवं दिशा को ठीक कर देने से शारीरिक एवं मानसिक रोग आश्चर्यजनक रूप से ठीक हो जाते है ।
जब मानव शरीर में उर्जा ( Qi ) अथवा शारीरिक द्रव्य ( body fluids ) कहीं रुक जाते हैं तो उस रूकावट को stasis कहते हैं ।
एक्यूप्रेशर तथा एक्यूपंचर उपचार द्वारा इस stasis को कम किया जा सकता है तथा हटाया जा सकता है । ऐसा impediments को हटाकर किया जाता है ।
Impediments एवं stasis को हटाने के लिए specific acupuncture points होते हैं ।
Qi ( उजा ) :-
इस सारी सृष्टि तथा मानव शरीर के चलाने वाली उर्जा को विभिन्न देशों में विभिन्न नामों से पुकारा जाता है । इसे चीन में Chi अथवा भारत में प्राण , उर्जा जापान में तथा पाश्चात्य जगत में vital force अथवा bio energy कहते है ।
उर्जा ( Qi ) के प्रमुख कार्य :-
1. हमारे शरीर में होने वाले एच्छिक ( voluntary ) एवं अनैच्छिक परिचालन ( movements ) जैसे शरीर में रक्त संचरण ( blood circulation ) श्वसन क्रिया , पाचन क्रिया आदि का स्रोत यह उर्जा ही होती है ।
2 . शरीर में गर्मी का उत्पादन एवं शरीर में तापमान नियंत्रित रखना , ये दोनों कार्य इसी उर्जा ( Qi ) द्वारा किये जाते हैं ।
3. मष्तिष्क एवं शरीर की जीवन्त रखने वाली सभी प्रक्रियाओं का संचालन यह उर्जा करती है । इस उर्जा को चीन में Shen कहते हैं । इसे चेतना अथवा आत्मा की शक्ति कहते हैं । यह हमें विचार शक्ति प्रदान करती है ।
4 . शरीर को बाहरी प्रभावों से बचाने का काम यह उर्जा ही करती है । उसमें मौसम में होने वाले परिवर्तनों से शरीर को बचाना तथा बाहरी infection आदि से लड़ने के लिए शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता स्थापित करना तथा उसे आवश्यकतानुसार परिवर्तित , परिवर्धित एवं संशोधित करने का कार्य यह उर्जा ही करती है । इस उर्जा को चीन में protective Qi कहते है ।
चीन में माना जाता है कि Shen ( आत्मा ) हृदय में निवास करती है तथा आंखों में देखी जा सकती है । जब Shen में गड़बड़ी आती है तो आखें निस्तेज हो जाती है तथा व्यक्ति में भूलने की प्रवृति तथा नींद में गड़बड़ी आती है ।
5. ईश्वर जन्म के समय बीज रूप में जीवनी शक्ति का सत् ( jing ) प्रत्येक जीव को प्रदान करता है । शरीर मन तथा मष्तिष्क का विकास इसी jing से होता है । हमें गिनकर स्वांस तथा भोग विलास आदि की शक्ति एक निश्चित मात्रा में jing के रूप में हमें मिलती है । शक्ति kidney में बीज रूप में मिलती है तथा अन्य शक्तियां हमें सभी organs के organ source point में मिलती है । इसके सदुपयोग द्वारा हम quality of life तथा विचार सुधार सकते है तथा इसके अंधाधुंध उपयोग तथा दुरूपयोग द्वारा जीवन बर्बाद कर सकते हैं ।
इस उर्जा को हम दो प्रकार से प्राप्त कर सकते हैं । प्रथम ईश्वर प्रदत्त उर्जा तथा द्वितीय मानव द्वारा जीवन काल में अर्जित उर्जा । ईश्वर प्रदत्त उर्जा हमें हमारे पूर्व जन्म के कर्मों के अनुरूप प्रारब्धरूप में शरीर के साथ मिलती है । अर्जित उर्जा मनुष्य द्वारा जीवन काल में किये गये कर्मो , आचार विचार , आहार विहार आदि द्वारा समय समय पर प्राप्त होती रहती है । ईश्वर प्रदत्त उर्जा in built Qi होती है जिसे हम न तो बढ़ा सकते है न ही घटा सकते है । हम केवल उसका मानव शरीर में संतुलन कर सकते हैं । यदि यह उर्जा शरीर में एक स्थान पर बढ़ गयी है तथा दूसरे स्थान पर घट गयी है तो ऐसे उर्जा के असंतुलन को हम उर्जा को बढ़े स्थान से घटे स्थान को स्थानान्तरित कर संतुलित कर सकते हैं तथा ऐसा करने से पुरानी से पुरानी बीमारी ठीक की जा सकती है । मनुष्य द्वारा अर्जित उर्जा को हम जहाँ एक ओर आहार विहार , विचार , कर्म आदि में परिवर्तन कर संतुलित कर सकते हैं वहीं दूसरी ओर इस उर्जा का संतुलन हम उर्जा के शरीर में स्थानान्तरण द्वारा भी कर सकते हैं ।
NOT NEED TO UPSET BY THE DISEASE NOW
शारीरिक तथा मानसिक रोगो का उपचार, सोच में परिवर्तन द्वारा
कमजोरी अपनी महसूस करो और करो उसे तुम वयक्त
है कमजोरी शक्ति बन जाती जब हो जाती है वयक्त
दर्द अपने महसूस करो और करो उसे तुम वयक्त
है दर्द खुशी में बदल जाती,जब हो जाती हैं वयक्त
भय अपने महसूस करो और करो उसे तुम वयक्त
ये भय सुरक्षा बन जाते हैं, जब हो जाते वयक्त
अकेलापन अपना महसूस करो और करो उसे तुम व्यक्त
ये अभिव्यक्ति तुम्हें प्राप्ति देगी, और देगी प्रेम, मित्र और मुक्ति
घृणा अपनी महसूस करो और करो उसे तुम वयक्त
यह घृणा प्रेम बन जाएगी, जब हो जाएगी व्यक्त
निराशा अपनी महसूस करो और करो उसे तुम वयक्त
यह निराशा आशा बन जाएगी जब हो जाएगी व्यक्त
बचपन की कमियों को महसूस करो, करो उसे तुम व्यक्त
ये कमियां पूरी हो जाएगी जब हो जाएगी व्यक्त
स्वभाव अपने व्यक्त कर व्यक्ति पाता है व्यक्तित्व
मनोभाव नासूर बन जाते हैं जब रह जाते अव्यक्त हैं
है कमजोरी शक्ति बन जाती जब हो जाती है वयक्त
दर्द अपने महसूस करो और करो उसे तुम वयक्त
है दर्द खुशी में बदल जाती,जब हो जाती हैं वयक्त
भय अपने महसूस करो और करो उसे तुम वयक्त
ये भय सुरक्षा बन जाते हैं, जब हो जाते वयक्त
अकेलापन अपना महसूस करो और करो उसे तुम व्यक्त
ये अभिव्यक्ति तुम्हें प्राप्ति देगी, और देगी प्रेम, मित्र और मुक्ति
घृणा अपनी महसूस करो और करो उसे तुम वयक्त
यह घृणा प्रेम बन जाएगी, जब हो जाएगी व्यक्त
निराशा अपनी महसूस करो और करो उसे तुम वयक्त
यह निराशा आशा बन जाएगी जब हो जाएगी व्यक्त
बचपन की कमियों को महसूस करो, करो उसे तुम व्यक्त
ये कमियां पूरी हो जाएगी जब हो जाएगी व्यक्त
स्वभाव अपने व्यक्त कर व्यक्ति पाता है व्यक्तित्व
मनोभाव नासूर बन जाते हैं जब रह जाते अव्यक्त हैं